खतरों के बीच ऐसा त्याग:घर वालों को नहीं पता हम कोरोना से मृत लोगों की लाशें ढो रहे

जब लोग घरों में हैं तब 40 डिग्री तापमान में भी सुबह से रात तक संक्रमित शवों को उठाकर मोक्षधाम पहुंचाने की अगर कोई हिम्मत कर रहा है तो असल में कोरोना योद्धा वही है। शर्मनाक है कि जान दांव पर लगाने वाले ऐसे योद्धाओं की जिंदगी और उसके परिवार की चिंता नगर निगम काे नहीं है। मात्र 6 से 7 हजार रुपए वेतन में काम कर रहे इन कर्मचारियों को संक्रमण से बचाव के लिए जो किट दी जा रही है, वह दोयम दर्जे की है। शवों को उठाने, रखने में ही फट रही है। ऐसे में जिम्मेदार यह बताएं कि इससे संक्रमण कैसे रुकेगा।

मजबूरी ऐसी

निगम द्वारा सैनिटाइजर आदि उपलब्ध नहीं कराने के सवाल पर कर्मचारी बोले- हमें हमारे हाल पर छोड़ दो…आप हमारा फोटो छाप दोगे तो घरवाले घर से निकलने नहीं देंगे। लॉकडाउन में काम छूट गया है। भूख तो सबको रोज लगती है, झूठ बोलकर यह काम कर रहे हैं ताकि परिवार चला सका। हाथ जोड़ते हैं हमारा नाम या फोटो मत छापना।

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